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Romantic-Story विभा और अभिषेक का मिलन

विभा की ज़िंदगी? अरे, सीधी-सादी सी थी—कस्बे की लड़की, किताबों में खोई, सपने रंगीन पर हकीकत में बस वही रोज़मर्रा की भागदौड़। कॉलेज मिली तो लगा जैसे कोई सीक्रेट लेवल अनलॉक हो गया हो। नया माहौल, नए चेहरे, और उन्हीं चेहरों में एक था अभिषेक। भाई, उस लड़के में कुछ बात थी। बाकी सब जैसे ब्लैक एंड वाइट, और ये बंदा टेक्नीकलर!

अभिषेक को देखकर लगे जैसे ये बंदा शो-ऑफ टाइप तो बिल्कुल नहीं, मगर फिर भी उसकी स्माइल—ओह भाई, दिल में घुस जाती थी। वो ज्यादा बोलता नहीं था, मगर उसकी आंखों में एकदम सच्ची वाली ईमानदारी थी। और, उसके बिहेवियर में एक अपनापन झलक जाता था। पता ही नहीं चलता, कब वो इंसान अपना सा लगने लगता है।

शुरुआत में बस हल्की-फुल्की पहचान, क्लास में बैठे-बैठे नज़रें मिलना, फिर फौरन दूसरी तरफ देखना—यही था उनका डेली रुटीन। फिर एक दिन लाइब्रेरी में विभा किताबों में ऐसी खोई रही कि पता भी नहीं चला, कब अभिषेक आकर बगल में बैठ गया। और वो बोला, “ये किताब मैंने भी पढ़ी है, एंड में थोड़ा झटका लगता है!” अब बताओ, कौन इतनी कूल एंट्री मारता है? उसी दिन से दोनों में बातें शुरू हो गईं।

धीरे-धीरे कैंटीन में साथ वाली चाय, प्रोजेक्ट्स साथ में, और कभी-कभी क्लास के बाद पार्क में घंटों बातें। दोनों को एक-दूसरे की पसंद-नापसंद पता चलने लगी। अभिषेक को विभा की मासूमियत भा गई, और विभा को अभिषेक का शांत, समझदार अंदाज़।

समय के साथ दोस्ती गहरी होती चली गई। अब ये सिर्फ दोस्ती नहीं रह गई थी। जब भी विभा परेशान होती, अभिषेक का साथ उसके लिए लाइफलाइन था। और जब अभिषेक टूटा-फूटा सा महसूस करता, विभा की मुस्कान सारी थकान चुरा लेती।

फिर एक दिन, बारिश हो रही थी—फिल्मी सीन टाइप। दोनों पेड़ के नीचे खड़े, हवा में वो ठंडक, बारिश की खुशबू, और बस… एक अजीब सी ख़ामोशी। अचानक, अभिषेक बोला, “विभा, मैं तुम्हें सिर्फ दोस्त नहीं मानता… तुम मेरे लिए बहुत ज़्यादा हो।” यार, दिल की धड़कनें तो वैसे ही हाई स्पीड पर थीं। विभा ने मुस्कुराकर कहा, “मुझे भी यही लगता है।” बस, उस दिन से दोस्ती को नया नाम मिल गया—प्यार।

उनका प्यार बिल्कुल सीधा-सच्चा था। छोटे-छोटे लम्हों में खुशियां ढूंढते, एक-दूसरे के सपनों में रंग भरते। कॉलेज के तीन साल तो जैसे पलक झपकते निकल गए। पर लाइफ हमेशा fairy tale थोड़ी ना रहती है। पढ़ाई खत्म, अभिषेक जॉब के लिए दूसरे शहर, विभा अपने घर में फैमिली ड्रामा… उफ्फ। दूरी आई, मगर रिश्ता खड़ा रहा—चट्टान की तरह।

लॉन्ग डिस्टेंस में असली इम्तिहान हुआ। कॉल्स पे घंटों बातें, WhatsApp पर रात-रातभर चैट्स, कभी-कभी छोटे गिफ्ट्स—बस इसी में उनका प्यार और स्ट्रॉन्ग होता गया। चार साल तक जुदा रहे, कितनी बार लगा कि अब शायद मुश्किल होगा, मगर हार मानना तो इनका डिफॉल्ट सेटिंग था ही नहीं।

आखिर एक दिन अभिषेक बोला, “अब और नहीं, मैं आ रहा हूं तुम्हारे पास, इस बार हमेशा के लिए।” विभा की आंखें नम, लेकिन दिल में वही पुराना excitement। कुछ महीने बाद, फैमिली की रज़ामंदी मिली, शादी हो गई।

शादी के बाद भी, वही मासूमियत, वही भरोसा। दोनों एक-दूसरे के सपोर्ट सिस्टम। सालों बाद, जब दोनों अपनी बालकनी में बैठकर चाय पीते, अभिषेक मुस्कुराते हुए बोलता, “अगर लाइफ फिर से शुरू करनी हो, तो फिर से तुम्हें ही चुनूंगा।” विभा की आंखों में वही चमक, “और मैं फिर से तुमसे ही प्यार करूंगी।”

इनकी कहानी बस यहीं नहीं रुकी, हर रोज़, हर पल, प्यार की नई दास्तां लिखी जाती रही। असली वाला प्यार—जो इत्तेफाक से शुरू हुआ, और पूरी लाइफ का साथ बन गया।

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