Wed. Sep 10th, 2025
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गांव की वो लड़की जो सपनों में बस गई

गांव की मिट्टी में एक अलग ही खुशबू होती है, जैसे बचपन की यादें और पहली मोहब्बत की मासूमियत एक साथ सांसों में घुल जाती हो। मेरा गांव छोटा था, लेकिन वहां के लोग बड़े दिल वाले थे। खेतों की हरियाली, सुबह की ठंडी हवाएं, और शाम को चौपाल पर बैठकर चाय की चुस्कियां लेना — ये सब मेरी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा था। मुझे कभी लगा ही नहीं था कि इस शांत और सादगी भरी जिंदगी में कोई ऐसा मोड़ आएगा, जो मेरे दिल की धड़कनों को बदल देगा।

वो सावन का महीना था, जब आसमान बादलों से घिरा रहता और मिट्टी की खुशबू पूरे गांव में फैल जाती। मैं अपने खेत की मेड़ पर खड़ा बारिश की बूंदों को चेहरे पर महसूस कर रहा था, तभी मेरी नज़र सामने की पगडंडी पर पड़ी। वहां से एक लड़की गुजर रही थी। मैंने पहले कभी उसे गांव में नहीं देखा था। उसकी आंखों में एक अजीब सा सुकून था, जैसे वो किसी पुराने किस्से का हिस्सा हो। उसके हाथ में किताबें थीं और बाल हवा में हल्के-हल्के उड़ रहे थे।

उसका नाम विभा था। वो अपने ननिहाल आई थी, जो हमारे गांव में ही था। शहर में पढ़ाई करने वाली विभा में एक अलग ही आत्मविश्वास था, लेकिन उसकी मुस्कान में गांव की मासूमियत भी थी। पहली बार उसकी आंखों से नज़रें मिलीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे वक्त कुछ पल के लिए रुक गया हो। उस पल का एहसास आज भी मेरी यादों में जिंदा है।

अगले कुछ दिनों तक मैं बस उसे देखने के बहाने ढूंढता रहा। कभी खेत से घर जाते वक्त, कभी चाय की दुकान पर, और कभी गांव के मंदिर में। हमारी पहली बातचीत बहुत साधारण थी, लेकिन मेरे लिए वो यादगार बन गई। मैंने उससे पूछा, “तुम यहां कितने दिन रहोगी?” उसने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “शायद कुछ महीनों के लिए।” उस मुस्कान में एक अजीब सी खामोशी थी, जैसे वो कुछ कहना चाहती हो लेकिन रुक गई हो।

धीरे-धीरे हमारी मुलाकातें बढ़ने लगीं। कभी मैं उसे अपने खेत दिखाने ले जाता, तो कभी वो मुझे गांव की पुरानी कहानियां सुनाती। हम दोनों के बीच एक अजीब सा अपनापन बनने लगा था। मुझे एहसास हो गया था कि मैं उससे प्यार करने लगा हूं, लेकिन ये बात मैं कह नहीं पा रहा था। डर था कि कहीं वो मना न कर दे और हमारी दोस्ती भी खत्म न हो जाए।

एक दिन गांव के मेले में हम दोनों साथ गए। हाथ में हाथ डालकर झूलों पर बैठना, गोलगप्पे खाना, और रात को नदी किनारे बैठकर तारों को देखना — वो पल मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक थे। उस रात मैंने तय कर लिया कि अब मैं अपने दिल की बात उसे कहूंगा।

अगले दिन मैं उसे खेत के पास वाले आम के पेड़ के नीचे बुलाया। दिल की धड़कन इतनी तेज थी कि जैसे वो बाहर निकल आएगी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “विभा, मैं नहीं जानता ये सही वक्त है या नहीं, लेकिन मैं तुम्हें ये जरूर बताना चाहता हूं कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं।”

वो कुछ पल खामोश रही, फिर उसकी आंखों में हल्की नमी आ गई। उसने कहा, “मुझे पता था ये बात एक दिन जरूर कहोगे, लेकिन मैं डर रही थी… क्योंकि मैं भी तुम्हें पसंद करने लगी हूं।” उस पल मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जैसे पूरी दुनिया मेरी हो गई हो।

लेकिन जिंदगी हमेशा उतनी आसान नहीं होती जितनी फिल्मों में दिखती है। कुछ हफ्तों बाद उसने बताया कि उसके पापा चाहते हैं कि वो शहर वापस जाकर पढ़ाई पूरी करे और फिर वहीं नौकरी करे। मैं जानता था कि गांव की जिंदगी और शहर की जिंदगी में बहुत फर्क होता है। मैं उसे खोना नहीं चाहता था, लेकिन उसके सपनों के रास्ते में भी रुकावट नहीं बन सकता था।

विदाई का दिन आया। स्टेशन पर खड़े होकर मैंने उससे कहा, “तुम्हें जाना पड़ेगा, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे इंतजार में रहूंगा।” उसने मेरे हाथ को कसकर पकड़ा और कहा, “अगर हमारा प्यार सच्चा है, तो वक्त हमें फिर मिलाएगा।”

साल बीत गए। मैं गांव में ही रहा, खेतों में मेहनत करता रहा, लेकिन हर शाम पगडंडी की ओर नज़र जरूर डालता, जैसे उम्मीद थी कि वो वापस आएगी। और फिर एक दिन, बिना किसी खबर के, वो सामने खड़ी थी। उसी मुस्कान के साथ, लेकिन अब उसकी आंखों में एक गहरी चमक थी। उसने कहा, “मैंने अपनी पढ़ाई और नौकरी पूरी कर ली है, लेकिन मेरा दिल हमेशा यहीं था… तुम्हारे पास।”

उस दिन मैंने उसे गले से लगा लिया। मुझे लगा जैसे मेरे सारे इंतजार, सारी तड़प, और सारी दुआएं एक साथ पूरी हो गईं। हम दोनों ने गांव में ही शादी कर ली और आज भी हम उसी मिट्टी की खुशबू में, उसी पगडंडी पर, और उसी आसमान के नीचे अपनी मोहब्बत की कहानी जी रहे हैं।

कभी-कभी सोचता हूं, अगर उस दिन बारिश में पगडंडी पर वो लड़की न मिली होती, तो शायद मेरी जिंदगी अधूरी रह जाती। लेकिन आज, वो सिर्फ मेरे सपनों में ही नहीं, मेरी हकीकत में भी बस गई है। यही सच्चा प्यार है, जो वक्त, दूरी और मुश्किलों के बावजूद कायम रहता है।

पीपल के पेड़ के नीचे शुरू हुआ प्यार

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