Wed. Sep 10th, 2025
एक तरफा प्यार love story romantic

1. सालों बाद फिर वही नाम दिल के किसी कोने से उठकर सामने आ गया। (एक तरफा प्यार)

10वीं के बाद लाइफ सीधा उल्टा पुल्टा हो गई। कॉलेज, नए लोग, नई टेंशन — सब कुछ बदल गया, सिवाय एक चीज़ के। आराध्या का नाम अब भी डायरी के हर पन्ने में जिंदा था, पक्का।
कभी-कभी सोचता था — क्या उसे भी मेरी कोई कमी महसूस हुई होगी? या मैं ही फालतू में सेंटी हो रहा हूँ?

2. सोशल मीडिया ने कमाल ही कर दिया

एक दिन ऐसे ही, लाइब्रेरी में बोर होते-होते इंस्टा खोला। एक पुराने दोस्त की स्टोरी में वही चेहरा दिखा — वही मुस्कान, वही बड़ी-बड़ी आँखें।
आराध्या।
दिल धड़कना भूल गया था क्या? स्टोरी टैग में यूज़रनेम था — @aaradhya_smiles
हाथ तो काँप गए, फिर भी प्रोफाइल खोल ही लिया। अब मैडम टीचर बन गई थीं, बच्चों को पढ़ा रही, कहानियाँ सुना रही… और भी प्यारी लग रही थी, सच में।

3. आठ साल बाद पहली चैट

काफी सोच के, बस लिखा — “Hi, Aaradhya… याद है स्कूल?”
कुछ घंटों बाद रिप्लाई आ गया —
“अर्जुन? ओ माय गॉड, हां! तू कहाँ है इतने सालों बाद!”
सीधा दिल में पटाखे फूट गए। यही तो बोलना था इतने सालों से, अब जाकर हुआ।

4. मिलना – दोबारा, दोस्त बनकर

कुछ दिन तक बातें, हँसी मजाक, पुराने दिनों की यादें। एक दिन उसने बोला —
“कभी मिलना चाहिए यार, कितना कुछ याद आता है…”
मैंने झट से हाँ कर दी। प्लान फिक्स — एक छोटा कैफे, शहर के कोने में।
वो आई सामने — बाल अब खुले नहीं थे, चश्मा लग गया था, पर मुस्कान वही पुरानी वाली थी। दिल ने फिर से वही धड़कनें दोहराईं, बता रहा हूँ।

5. बातें — जो कभी बोल नहीं पाए

घंटों बैठे रहे। स्कूल, टीचर्स, बोर्ड एग्जाम, और उसकी वो नीली साड़ी वाली फेयरवेल।
मैंने पूछा, “तू रोई थी न उस दिन क्लास में?”
वो हल्के से मुस्कुराई — “हाँ, पापा बीमार थे, बहुत डर गई थी।”
मैं बस सुनता रहा। मन में सोचा — काश उस दिन कुछ बोल दिया होता।

6. असली बातें — जब दिल फिसल पड़

कुछ मुलाक़ातें और हो गईं। दोस्ती वाली फीलिंग थी, लेकिन दिल कहाँ मानता है?
एक शाम, नदी किनारे बैठे थे। मौसम कूल था, हवा में ठंडक। मैंने घूरते-घूरते बोल ही दिया —
“तुझे पता है आराध्या, मैं तुझसे स्कूल टाइम से प्यार करता था।”
वो शॉक्ड नहीं हुई। बस देखती रही।
“मुझे पता था अर्जुन…”

7. और फिर आई वो वाली खामोशी मैंने पूछ लिया

“तो कभी कुछ बोला क्यों नहीं?”
धीमे से बोली —
“डरती थी, उस उम्र में प्यार वगैरह से। पढ़ाई छूट जाती। और जब समझ पाई, तब तक रास्ते अलग हो चुके थे।”
ज्यादा कुछ नहीं बोला किसी ने, लेकिन खामोशी में सब बोल दिया गया।

8. अब क्या?

मैंने पूछा — “अब तो कुछ बदल सकता है न?”
उसकी मुस्कान थोड़ी सी उदास थी, आँखें भीगी हुईं।
“अब मेरी सगाई हो चुकी है अर्जुन… लड़का अच्छा है, मैं खुश हूँ।”
दिल तो चूर-चूर हो गया, पर चेहरा जबरदस्ती स्माइल कर रहा था।
“तू भी खुश रहना अर्जुन… तू बहुत अच्छा है।”

9. आखिरी मिलना

उस दिन आखिरी बार मिले। जाते-जाते उसने मेरी डायरी मांगी — जिसमें दस साल की सारी फीलिंग्स भरी थीं, उसके नाम।
मैंने दे दी। आखिर, वो ही तो असली हकदार थी।

10. प्यार अधूरा… मगर असली

आज भी कभी नदी किनारे बैठता हूँ, तो उसकी हँसी हवा में गूंजती है। उसकी बातें जैसे आस-पास तैरती हैं।
एक तरफा प्यार ना कभी खत्म होता है, ना झूठा होता है। बस, वक्त के साथ सीरीयस याद बनकर रह जाता है।

2 thoughts on “एक तरफा प्यार – स्कूल लाइफ की अधूरी मोहब्बत (भाग 2)”

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