अनजान सा इश्क मेरा भाग-2 (Romantic Love Story)
ज़िंदगी कभी भी अपने रंग बदल सकती है। मैं सोच भी नहीं सकता था कि जिस अनजान मोहब्बत ने मेरे दिल को अपना घर बना लिया था, वो मेरी किस्मत के सफ़र का सबसे खूबसूरत और सबसे दर्दभरा हिस्सा बनने वाली है।
वो दिन हमेशा की तरह ही था। मैं लाइब्रेरी के बाहर खड़ा था, और वो अचानक सामने से आई। किताबें हाथ में थीं, बाल खुले थे और चेहरे पर वही मासूम मुस्कान। इस बार मैंने हिम्मत की और कहा –
“किताबें बहुत पसंद हैं आपको?”
वो ठिठकी, फिर हल्की सी मुस्कुराई –
“हाँ, शायद किताबें ही इंसान को सबसे सच्चा आईना दिखाती हैं।”
उसकी आवाज़ सुनकर ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे दिल के तार छेड़ दिए हों। ये पहली बार था जब हमारी बातचीत हुई। छोटी सी बात थी, पर मेरे लिए पूरी दुनिया बदल गई थी।
उस दिन के बाद हम जब भी मिले, हल्की-फुल्की बातें होने लगीं। कभी मौसम पर, कभी किताबों पर, तो कभी कॉलेज के इधर-उधर के किस्सों पर। मैं हर बार उसे सुनते हुए बस यही सोचता – “काश, ये पल यहीं थम जाए।”
धीरे-धीरे उसने भी मुझे पहचानना शुरू कर दिया था। अब उसकी मुस्कान सिर्फ़ भीड़ में बिखरती नहीं थी, बल्कि सीधे मेरी आँखों तक पहुँचती थी। और यही वो पल था जब मेरा अनजान सा इश्क़ एक खूबसूरत अनकही मोहब्बत में बदलने लगा।
एक शाम हम दोनों कॉलेज से लौट रहे थे। सड़क सुनसान थी, आसमान पर ढलती शाम के रंग बिखरे थे। उसने अचानक पूछा –
“क्या आपको कभी ऐसा महसूस हुआ है कि कोई आपके दिल के बहुत करीब है, पर आप उसे कह नहीं पाते?”
उस सवाल ने मुझे अंदर तक हिला दिया। मैंने उसकी तरफ देखा, मगर शब्द गले में अटक गए।
मैं सिर्फ़ इतना ही कह पाया –
“हाँ, कभी-कभी… शायद यही तो ज़िंदगी की सबसे अनोखी बात होती है।”
उसने मुस्कुरा कर आसमान की ओर देखा और कहा –
“कभी-कभी अनकहा भी बहुत कुछ कह जाता है।”
उस पल मैं समझ गया कि शायद वो भी कुछ महसूस करती है, लेकिन कह नहीं पा रही।
दिन यूँ ही बीतते रहे। हमारी बातें बढ़ीं, मुलाक़ातें बढ़ीं और साथ ही मेरे जज़्बात भी गहराते गए। पर मैंने अब तक अपने दिल की बात उससे नहीं कही थी।
मुझे डर था कि कहीं ये रिश्ता टूट न जाए। ये अनजान मोहब्बत ही इतनी खूबसूरत थी कि मैं इसे खोने का ख़तरा नहीं लेना चाहता था।
एक दिन हिम्मत जुटाकर मैंने अपने दोस्त से कहा –
“मैं उसे सब बता देना चाहता हूँ।”
दोस्त ने हँसते हुए कहा –
“यार, मोहब्बत को दिल में दबाकर रखना सबसे मुश्किल काम है। कह दे, वरना उम्रभर पछताएगा।”
उसकी बातों ने मेरे दिल को और मजबूत कर दिया। मैंने ठान लिया कि अब चाहे जो हो, मैं अपने अनकहे प्यार को शब्द दूँगा।
वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे अहम दिन था। मैंने उसे कैफे में बुलाया। वो आई, हमेशा की तरह साधारण कपड़ों में, लेकिन उसकी मुस्कान ने पूरे माहौल को रोशन कर दिया।
मैं बहुत देर तक चुप बैठा रहा। फिर अचानक बिना सोचे-समझे बोल पड़ा –
“मुझे नहीं पता कि इसे कैसे कहूँ, लेकिन… जबसे तुम्हें देखा है, मेरी ज़िंदगी बदल गई है। मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ… ये अनजान सा इश्क अब मेरी रूह का हिस्सा बन चुका है।”
मेरी बातें सुनकर वो चुप हो गई। उसकी आँखों में नमी थी। उसने धीरे से कहा –
“मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम ये कह दोगे। लेकिन सच ये है कि मैं भी वही महसूस करती हूँ… पर मैं डरती हूँ।”
“डर? किस बात का?” मैंने पूछा।
उसने गहरी सांस ली और कहा –
“मेरे परिवार की सोच बहुत सख़्त है। वो कभी हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए मैंने हमेशा खुद को रोका। लेकिन हाँ… तुम्हारे बिना मेरी दुनिया अधूरी है।”
उसकी ये बातें सुनकर मेरा दिल भर आया। लगा जैसे सारी दुनिया एक पल में मेरी हो गई हो।
हमारे बीच अब कोई पर्दा नहीं बचा था। हम दोनों जानते थे कि ये रिश्ता आसान नहीं होगा, लेकिन सच्चा था। हमने तय किया कि चाहे हालात जैसे भी हों, हम एक-दूसरे का साथ देंगे।
दिन महीने में बदले, और महीनों ने साल का रूप ले लिया। हमारी मोहब्बत हर दिन गहरी होती गई। पर किस्मत ने हमें हमेशा आसान रास्ता नहीं दिया।
उसके परिवार ने सच में हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। वो उसे किसी और के लिए तैयार कर रहे थे।
जब उसने मुझे ये बात बताई, तो मैं टूट गया। लेकिन उसकी आँखों में आँसू देखकर मैंने खुद को संभाला। मैंने कहा –
“अगर तुम्हारी खुशी इसमें है, तो मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं। क्योंकि सच्ची मोहब्बत में चाहत से ज्यादा ज़रूरी है, सामने वाले की मुस्कान।”
वो फूट-फूट कर रो पड़ी। शायद वो भी चाहती थी कि किस्मत हमारी होती, पर हकीकत कुछ और थी।
उस दिन के बाद हमारी मुलाक़ातें कम हो गईं। वो धीरे-धीरे मेरी ज़िंदगी से दूर चली गई। लेकिन उसकी यादें… वो आज भी मेरे साथ हैं।
जब-जब मैं अकेला होता हूँ, उसकी हँसी कानों में गूंजती है। जब भी बारिश होती है, उसकी आँखों की चमक सामने आ जाती है।
शायद यही वजह है कि मैं इस रिश्ते को अधूरा नहीं मानता। क्योंकि मोहब्बत पूरी हो या अधूरी, वो हमेशा दिल में जिंदा रहती है।
आज भी जब मैं उस मोड़ से गुज़रता हूँ जहाँ पहली बार उसे देखा था, तो दिल मुस्कुरा उठता है। वो अनजान सा इश्क, जिसने मेरी ज़िंदगी को एक नई पहचान दी, वो कभी खत्म नहीं होगा।
हाँ, ये सच है कि हम साथ नहीं हैं। पर उसकी मोहब्बत मेरी रूह में बस चुकी है।
कभी-कभी सोचता हूँ, अगर मैं उसे न मिला होता तो मेरी ज़िंदगी कितनी बेरंग होती। उसने मुझे प्यार करना सिखाया, अपनी भावनाओं को समझना सिखाया और सबसे बड़ी बात – उसने मुझे सच्ची मोहब्बत का मतलब सिखाया।
Good story
Healthful story