कॉलेज लाइफ, ये दो शब्द सुनते ही ज़हन में अनगिनत यादें ताज़ा हो जाती हैं। स्कूल के बाद जब पहली बार हम कॉलेज के गेट पर कदम रखते हैं, तो दिल में ना जाने कितनी भावनाएं एक साथ उमड़ती हैं—डर, उत्साह, घबराहट और उम्मीदें। ये जीवन का वो मोड़ होता है, जहां हम सिर्फ किताबों से नहीं, ज़िंदगी से सीखना शुरू करते हैं।
मैं जब पहली बार अपने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिल हुआ, तो मेरे चेहरे पर मुस्कान से ज़्यादा सवाल थे। किससे दोस्ती होगी? पढ़ाई कैसी होगी? क्या मैं यहां फिट हो पाऊंगा? ये सब सवाल दिमाग में घूम रहे थे। लेकिन जैसे ही पहले दिन क्लासरूम में दाखिल हुआ, सामने बैठे कुछ चेहरे उतने ही घबराए हुए दिखे जितना मैं था। बस, यहीं से एक नये अध्याय की शुरुआत हुई।
कॉलेज के शुरुआती दिन बड़े ही उलझे होते हैं। न किसी को सही से क्लास का पता होता है, न प्रोफेसर के नाम याद रहते हैं। लाइब्रेरी का कार्ड बनवाना, आईडी कार्ड के लिए लाइन लगाना और कैंटीन की सबसे सस्ती चाय पीना—यही सब हमारे पहले अनुभव बनते हैं। धीरे-धीरे जब हम उस माहौल का हिस्सा बनते हैं, तो वो कॉलेज अब घर जैसा लगने लगता है।
कॉलेज लाइफ की सबसे बड़ी सौगात होती है—दोस्ती। यहां हम ऐसे दोस्तों से मिलते हैं जो खून के रिश्तेदार तो नहीं होते, लेकिन दिल से जुड़ जाते हैं। मेरी जिंदगी में भी ऐसे दो दोस्त आए—रवि और तन्वी। रवि हर मुश्किल घड़ी में साथ खड़ा रहने वाला दोस्त था, जो चाहे रात के 2 बजे हो या सुबह का 6 बजे का लेक्चर, कभी मना नहीं करता था। तन्वी, वो दोस्त जो मेरे हर फैसले में मेरी मार्गदर्शक बन गई।
हम तीनों की दोस्ती का केंद्र थी कैंटीन। वहीं बैठकर दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं पर चर्चा करते थे, वहीं हंसते थे, वहीं रोते भी थे। ग्रुप स्टडी के नाम पर गॉसिप और अंत में रात भर जागकर पढ़ना—यही हमारी पढ़ाई की शैली थी। लेकिन इन सबके बीच, जो रिश्ते बने, वो इतने मजबूत थे कि आज भी, जब सब अलग शहरों में हैं, दिल एक-दूसरे के साथ ही धड़कते हैं।
कॉलेज में पहली बार जब दिल किसी के लिए धड़कता है, तो वो एहसास बिल्कुल अलग होता है। मेरे लिए ये एहसास था निधि। वो मेरी क्लास में ही थी, लेकिन शुरुआत में हम बस एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे। फिर एक प्रोजेक्ट में साथ काम करना पड़ा। बातचीत बढ़ी, दोस्ती हुई और फिर धीरे-धीरे एहसास हुआ कि उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा है जो दिल को सुकून देता है।
हम घंटों बातें करते, कैंपस की बेंच पर बैठकर चाय पीते, लाइब्रेरी में किताबों से ज़्यादा एक-दूसरे की आंखों में झांकते। लेकिन ज़िंदगी हमेशा वैसी नहीं होती जैसी हम चाहें। कॉलेज खत्म होते-होते हमें समझ आया कि करियर और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच हमारी राहें अलग हो रही हैं। हम आज भी संपर्क में हैं, लेकिन अब वो रिश्ता सिर्फ यादों में ज़िंदा है।
कॉलेज सिर्फ मस्ती का नाम नहीं होता। यहां असली ज़िंदगी के संघर्ष शुरू होते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ जब खुद के खर्च उठाने की बात आई, तो मैंने पार्ट-टाइम ट्यूशन देना शुरू किया। पैसों की कमी ने सिखाया कि मेहनत क्या होती है। कभी-कभी दोस्तों के सामने ये स्वीकार करना मुश्किल होता था कि मैं क्यों हर आउटिंग में नहीं जा पाता, लेकिन धीरे-धीरे सब समझने लगे।
इंटर्नशिप की दौड़, प्लेसमेंट का तनाव और फेल होने का डर—ये सब कॉलेज के वो हिस्से हैं जिन्हें हम फेसबुक पर नहीं डालते, लेकिन वहीं सबसे ज्यादा हमें गढ़ते हैं। मैंने भी कई बार रिजेक्ट होने का सामना किया, लेकिन हर बार गिरकर उठना सीखा।
कॉलेज की असली पढ़ाई क्लासरूम से बाहर होती है। मैंने डिबेट क्लब जॉइन किया, जहां आत्मविश्वास बोलने से नहीं, चुप रहने से आया। नाटक मंडली में शामिल हुआ, जहां सिखा कि ज़िंदगी भी एक रंगमंच है। इन सब गतिविधियों ने मेरे व्यक्तित्व को निखारा और वो सिखाया जो कोई किताब नहीं सिखा सकती।
मैंने सीखा कि हार मानना आसान है, लेकिन लड़ते रहना ही असली जीत है। कॉलेज ने मुझे आलोचना को स्वीकार करना सिखाया, अपनी कमियों को समझकर सुधारना सिखाया।
कॉलेज का आखिरी दिन… वो विदाई समारोह जिसमें हर चेहरा मुस्करा रहा होता है लेकिन आंखें नम होती हैं। सब कुछ जैसे एक फिल्म की तरह सामने घूम जाता है—पहला दिन, पहली क्लास, पहली असाइनमेंट, पहला प्यार, पहली लड़ाई और आखिरी विदा।
हम सबने एक-दूसरे से वादा किया कि संपर्क में रहेंगे, लेकिन वक्त और जिम्मेदारियों ने वो वादे धीरे-धीरे चुप करा दिए। फिर भी दिल के किसी कोने में वो क्लासरूम, वो कैंटीन और वो दोस्त आज भी वैसे ही जिंदा हैं जैसे कल ही मिले हों।
कॉलेज लाइफ एक सुनहरी किताब है जिसमें हर पन्ना एक अलग कहानी कहता है। ये चार साल ज़िंदगी को वो दिशा देते हैं जो किसी और मोड़ पर नहीं मिलती। यहां हम गिरते हैं, संभलते हैं, प्यार करते हैं, टूटते हैं और फिर नए हौसलों से खड़े होते हैं।
अगर आज मैं खुद पर भरोसा कर पा रहा हूं, तो उसका बीज कॉलेज लाइफ में ही बोया गया था। वहां की यादें, वहां के रिश्ते और वहां की सीखी गई बातें आज भी मेरी ज़िंदगी का हिस्सा हैं।
कॉलेज खत्म हो जाता है, लेकिन कॉलेज लाइफ कभी खत्म नहीं होती। वो दिल में, यादों में और हमारी मुस्कराहट में हमेशा ज़िंदा रहती है।