यार, उस दिन जब अन्वी ने बोला – “हाँ, मुझे भी तुमसे मोहब्बत है,” सच में ऐसा लगा जैसे भगवान ने जिंदगी का जैकपॉट मेरे नाम कर दिया हो। जिस प्यार को दिल के हर कोने में सहेज के रखा था, अब वही प्यार वापस मिल रहा था, वो भी उसी intensity के साथ। दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा, जैसे कसम खा ली हो – अब तो चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए, हम साथ हैं।
कॉलेज के वो दिन, कसम से, अब किसी पुरानी बॉलीवुड फिल्म की तरह लगते हैं – स्लो मोशन में लंच, ब्रेक, कैंटीन की चाय, और हर एक पल बस उसके साथ ही सही लगता था। डायरी के हर पेज पर उसका नाम, उसके गुलाबों पर मेरा नाम – cheesy, पता है, लेकिन उस वक्त तो यही रोमांस था। अब लफ्ज़ कम पड़ने लगे थे, फीलिंग्स अपने आप बहने लगीं।
वो हमेशा चिढ़ाती थी – “तू कितना सीरियस रहता है, आरव!” और मैं उसकी बातों पे सिर्फ हंस देता था। एक बार बोली – “तू हंसता है तो कसम से, सब ठीक लगने लगता है। लाइफ को इतना सीरियसली क्यों लेता है रे? कभी बेफिक्री भी ट्राय कर।” उसी दिन से मैंने अपना हर दिन उसकी मुस्कान से शुरू करना सीख लिया। आसान नहीं था, लेकिन ट्राय तो कर ही लिया।
धीरे-धीरे हमारे प्लान बनने लगे – साथ जॉब ढूंढेंगे, साथ रहेंगे, फिर एक दिन शादी भी करेंगे। मैंने अपने घर पे बात की, माँ-पापा थोड़े कड़क थे, लेकिन मेरी खुशी देखकर मान ही गए। अन्वी को अपने पापा से डर लगता था – “पापा old-school हैं, लव मैरिज वाले चक्कर में नहीं पड़ेंगे।” मैंने बोला – “कोई बात नहीं, मिलकर फाड़ देंगे सब मुश्किलें। सच्चा प्यार हो तो रास्ते अपने-आप बन ही जाते हैं।”
लेकिन, यहीं से कहानी में ट्विस्ट आ गया।
एक दिन कॉलेज के बाद अन्वी को कॉल करता रहा – घंटी बजती रही, कोई रिस्पॉन्स नहीं। अगले दिन कॉलेज में भी गायब। न मैसेज, न कोई खबर। दो दिन बाद तो हालत खराब – बेचैनी सी डर में बदल गई। हॉस्टल पहुंचा, तो पता चला – बिना कुछ बताए घर चली गई है। सीधा गायब!
फिर एक रात उसका मैसेज – “आरव, मजबूरी है। पापा को सब पता चल गया है। मेरा फोन ले लिया। चाहती हूँ मिलूं, लेकिन अब कुछ दिन नहीं हो पाएगा। प्लीज इंतज़ार करना।” मैं क्या करता – लिखा, “जिंदगी भर इंतजार करूँगा, बस तू ठीक रहना।”
उसके बाद के दिन तो जैसे रेंगते रहे। कॉल किए, मैसेज पर मैसेज – कोई जवाब नहीं। महीने बीत गए। फिर एक दिन, फेसबुक पर उसकी शादी की फोटो दिखी।
बस, सांस ही रुक गई। वो, वही मुस्कान, किसी और के साथ। जो मुस्कान मेरी दुनिया थी, अब किसी और के लिए थी।
टूट गया था उस दिन। ऐसा लगा जैसे किसी ने खुदा ना खास्ता जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा छीन लिया हो। वो सिर्फ गर्लफ्रेंड नहीं थी, यार – वो तो soulmate थी। उसके घर कॉल किया, कोई जवाब नहीं। फिर वो कभी मिली ही नहीं।
उस दिन के बाद से – हजारों रातें जाग कर काटी हैं। डायरी का आखिरी पेज लिखा – “उसने मेरा प्यार छोड़ा नहीं, उसे जबरदस्ती ले जाया गया। मोहब्बत कम नहीं थी, मजबूरी बड़ी थी।”
टाइम बीता। डिग्री पूरी की, नौकरी ढूंढी, माँ-पापा की खुशी के लिए शादी भी कर ली। बीवी अच्छी है, रिस्पेक्ट करती है, लेकिन जो दिल अन्वी को दे दिया था, वो कभी वापस नहीं आया।
कभी-कभी पुराने दोस्त बताते हैं – अन्वी अब विदेश में है, एक बेटी की माँ बन गई है। शायद खुश है, शायद नहीं। लेकिन उसे कभी दोष नहीं दे पाया। उसने भी प्यार किया था, बस किस्मत साथ नहीं थी।
आज भी जब कॉलेज के बाहर से गुजरता हूँ, तो वही पेड़, वही बेंच, सब गवाह हैं उस अधूरी मगर सच्ची मोहब्बत के।
कुछ मोहब्बतें मुकम्मल नहीं होतीं – लेकिन अधूरी रहकर भी अंदर कुछ पूरा कर जाती हैं।
मोहब्बत हमेशा साथ रहने का नाम नहीं है, कभी-कभी बस यादों में जिंदा रहती है।