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एक तरफा प्यार love story love

1. मेरी जिंदगी का वो पहला मोड़

साल था 2008, और मैं सिर्फ एक साधारण-सा लड़का था। ना तो क्लास का टॉपर, ना ही कोई खास खिलाड़ी। बस एक आम छात्र, जो हर दिन स्कूल जाता, दोस्तों के साथ हँसता, मासूमियत से जीवन जीता और हर चीज़ को दिल से महसूस करता।

2. वो दिन जब पहली बार नजरें मिलीं

वो पीले रंग का सलवार-सूट पहनकर आई थी। उसकी चोटी में बंधा नीला रिबन अब भी मेरी यादों में ताज़ा है। वो क्लास में सबसे पीछे बैठी थी, और मैं थोड़ा आगे।

कभी-कभी जब टीचर बोर्ड की तरफ देखते, मैं चुपचाप पलट कर उसकी ओर देख लेता।

एक दिन हमारी नजरें मिल गईं। वो पल सिर्फ 3 सेकेंड का था, मगर मेरे लिए वो एक उम्र के बराबर था।

3. वो एक तरफा अहसास

प्यार क्या होता है, उस उम्र में ये समझ नहीं आता था। लेकिन जो मैं महसूस करता था, वो बाकी सब से अलग था।

उसके आने से मेरा हर दिन खास हो गया था। अब स्कूल जाने की असली वजह पढ़ाई नहीं, बल्कि उसकी एक झलक बन चुकी थी।

मैंने कभी उससे बात नहीं की। कई बार सोचा, कई बार मन में लाइनें बनाईं —
“हाय, मेरा नाम अर्जुन है… तुम नए आई हो?”
पर हर बार डर जीत जाता।

डर — कि कहीं उसने मना कर दिया, तो?

4. वो छोटी-छोटी बातें जो मेरी दुनिया थीं

एक बार उसकी पेन गिर गई और मैंने उठा कर दिया। उसने मुस्कुराकर “थैंक्यू” कहा, और मेरे दिल की दुनिया हिल गई।

उसका हर शब्द मेरे लिए कविता थी। उसकी हँसी संगीत की तरह लगती थी।

मैंने एक डायरी बनाना शुरू किया था। हर दिन उसमें उसके बारे में लिखता।
“आज उसने माथे पर छोटी सी बिंदी लगाई थी, और बाल खुले छोड़े थे। बहुत प्यारी लग रही थी…”

वो नहीं जानती थी कि कोई है जो हर रोज़ उसकी एक मुस्कान के लिए जी रहा है।

5. दोस्तों के बीच छिपी मोहब्बत

मेरे कुछ करीबी दोस्तों को पता था कि मैं उसे पसंद करता हूँ। वो चिढ़ाते भी थे, लेकिन कभी उसका मज़ाक नहीं उड़ाया।

वो खुद भी बहुत कम बोलती थी। किसी ग्रुप में नहीं थी। अकेली बैठती, पढ़ाई में लगी रहती।

मैंने कभी ये नहीं सोचा कि वो मुझे पसंद करती है या नहीं। मेरा प्यार बस उसे देखकर मुस्कुराने तक ही सीमित था।

एक तरफा था, मगर सच्चा था।

6. जब पहली बार उसकी आँखों में आंसू देखे

एक दिन क्लास में वो रो रही थी। शायद घर में कुछ हुआ था, या स्कूल में किसी बात से परेशान थी।

मैं उसे देखता रहा। दिल कर रहा था जाकर कहूँ — “क्या हुआ? सब ठीक है ना?”
मगर मैं चुप रहा।

उसी दिन मैंने तय कर लिया — मैं अगर कभी कुछ बन पाया, तो सबसे पहले उससे कहूँगा कि मैं उसके लिए क्या महसूस करता हूँ।

7. साल बदलता गया, हम दोनों बढ़ते गए

हम 10वीं में आ गए। बोर्ड एग्जाम का प्रेशर बढ़ने लगा। वो अब और भी सीरियस हो गई थी पढ़ाई में। और मैं… मैं अब भी उसी जगह था — उसी नजर से उसे देखता हुआ।

उसकी स्कूल बस का टाइम मुझे याद था। वो किस दिन कौन सी ड्रेस पहनती है, ये भी।

मैं बस उसे देखता रहा। बिना कुछ कहे। बिना उम्मीद के।

8. आखिरी दिन का दर्द

10वीं का आखिरी दिन था। फेयरवेल की तैयारी थी। सब दोस्त फोटोज़ ले रहे थे, हँसी-मज़ाक कर रहे थे। मैं बस एक कोना पकड़कर खड़ा था।

वो नीली साड़ी में आई थी। इतनी खूबसूरत कि आँखें हटाना मुश्किल था।

मैंने उस दिन तय किया था — कि मैं उससे बात करूँगा।

पर…

वो जल्दी निकल गई। शायद कोई फैमिली पिकअप लेने आई थी। और मैं… बस खड़ा रह गया।

9. हम बिछड़ गए... बिना कुछ कहे

10वीं के बाद हम दोनों अलग-अलग स्कूलों में एडमिशन ले लिए। कोई नंबर नहीं, कोई कॉन्टेक्ट नहीं। बस यादें थीं।

शुरुआत भी नहीं हुई थी, और सब खत्म हो गया था।

मैंने बहुत बार उसका नाम सोशल मीडिया पर सर्च किया। कुछ नहीं मिला। उसके बाद मैं भी जिंदगी में आगे बढ़ गया।

पर आज भी जब अकेले बैठता हूँ, तो वो मुस्कुराता चेहरा याद आ जाता है।

10. क्या एक तरफा प्यार भी सच्चा होता है?

मैंने कभी उससे “I Love You” नहीं कहा, पर उसे हर दिन दिल से चाहा।
उसकी हर खुशी के लिए दुआ माँगी।
कभी उसकी राह नहीं रोकी।
बस… चुपचाप चाहा।

तो क्या ये प्यार नहीं था?

भाग-2 में पढ़ें:
“सालों बाद हमारी मुलाक़ात… क्या फिर से कुछ जुड़ पाया?”

One thought on “एक तरफा प्यार – स्कूल लाइफ की अधूरी मोहब्बत की कहानी (भाग 1)”

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