1. सालों बाद वो नाम फिर दिल में गूंजा
10वीं के बाद ज़िंदगी ने नए रास्ते खोल दिए। कॉलेज, नए दोस्त, नई जगहें — सब कुछ बदला, मगर एक चीज़ जो कभी नहीं बदली, वो थी मेरी यादें। आराध्या का नाम अब भी मेरी डायरी में ज़िंदा था।
वक़्त गुज़रता गया, मगर मैं हमेशा सोचता — क्या उसे भी कभी मेरी कमी महसूस हुई होगी?
2. सोशल मीडिया का चमत्कार
एक शाम, जब मैं कॉलेज लाइब्रेरी में बैठा था, इंस्टाग्राम पर एक पुराने दोस्त की स्टोरी में एक चेहरा देखा — वही मुस्कान, वही आँखें।
आराध्या।
दिल ने जैसे एक पल में धड़कना छोड़ दिया। स्टोरी टैग में उसका यूज़रनेम था — @aaradhya_smiles
हाथ काँप रहे थे, फिर भी मैंने उसका प्रोफाइल खोला। वो अब एक टीचर थी — बच्चों को पढ़ाना, कहानियाँ सुनाना… वही मासूमियत अब और भी गहराई से चमक रही थी।
3. पहली बात – 8 साल बाद
बहुत सोचकर, मैंने सिर्फ “Hi, Aaradhya… याद है स्कूल?” इतना लिखा।
कुछ घंटों बाद reply आया —
“अर्जुन? ओ माय गॉड, हां! तू कहाँ है? इतने सालों बाद!”
दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। ये वो पहली बात थी, जो मैं सालों से करना चाहता था — अब जाकर हुई थी।
4. मुलाक़ात – अब दोस्त बनकर
कुछ दिनों की बातें, यादों की हल्की हँसी और पुराने दिनों का nostalgia। फिर एक दिन उसने कहा —
“कभी मिलना चाहिए यार, कितना कुछ याद आता है…”
मैंने तुरंत हाँ कर दी। जगह तय हुई — एक छोटा सा कैफे, शहर के कोने में।
जब वो सामने आई, तो दिल ने वही पुरानी धड़कनें दोहराईं। बाल अब खुले नहीं थे, चश्मा लग गया था, पर मुस्कान अब भी वैसी ही थी।
5. बातें, जो कभी कह नहीं पाए थे
हम घंटों बैठे रहे। स्कूल की बातें, टीचर्स, बोर्ड एग्जाम, और हाँ — उसकी वही नीली साड़ी वाले फेयरवेल की भी।
मैंने पूछा, “तू रोई थी न उस दिन क्लास में?”
वो मुस्कुराई — “हाँ, पापा की तबीयत खराब थी। बहुत डर गई थी मैं।”
मैं चुप रहा। सोचा, काश उस दिन कुछ कह दिया होता।
6. वो पल, जब दिल ने सब कह दिया
कुछ मुलाक़ातें और बीतीं। हम अब दोस्त थे, पर दिल अब भी वैसा ही था।
एक शाम, हम नदी किनारे बैठे थे। हवा में हल्की ठंडक थी। मैंने उसे देखा, और बिना सोचे कह दिया —
“तुझे पता है आराध्या, मैं तुझसे स्कूल टाइम से प्यार करता था।”
वो चौंकी नहीं। बस मुझे देखती रही।
“मैं जानती थी अर्जुन…”
7. और फिर आई खामोशी
मैंने पूछा —
“तो तूने कभी कुछ कहा क्यों नहीं?”
उसने धीमे से कहा —
“क्योंकि मैं उस उम्र में प्यार से डरती थी। मैं नहीं चाहती थी कि पढ़ाई से भटक जाऊँ… और फिर जब मैं समझने लायक हुई, हम बिछड़ चुके थे।”
खामोशी में भी बहुत कुछ कहा गया था उस पल।
8. क्या हम फिर से साथ हो सकते हैं?
मैंने पूछा, “अब तो कुछ बदल सकता है न?”
वो मुस्कुराई, और उसकी आँखें नम हो गईं।
“अब मैं सगाई कर चुकी हूँ अर्जुन… अच्छा लड़का है, और मैं खुश हूँ।”
दिल जैसे टूटकर रह गया। पर चेहरा मुस्कुरा रहा था।
“और तू भी खुश रहना अर्जुन… तू बहुत अच्छा है।”
9. आखिरी मुलाक़ात
उस दिन हम आखिरी बार मिले। चलते-चलते उसने मेरी डायरी मांगी — जिसमें मैंने उसके लिए 10 सालों से हर एहसास लिखा था।
मैंने दे दी — वो मेरी कहानी थी, और वो उसका हकदार थी।
10. प्यार अधूरा था... पर झूठा नहीं
आज भी जब कभी नदी किनारे बैठता हूँ, उसकी हँसी कानों में गूंजती है। उसकी बातों की खुशबू हवा में महसूस होती है।
“एक तरफा प्यार” कभी खत्म नहीं होता। वो बस वक्त के साथ एक सच्ची याद बन जाता है।