Wed. Sep 10th, 2025
उस मोड़ पर जहाँ प्यार खामोश था Love story romantic

उस मोड़ पर जहाँ प्यार खामोश था

चलो, कहानी कुछ यूँ शुरू होती है – एक छोटा-सा कस्बा, बोरियत की हद तक साधारण, जहाँ ज़िंदगी का हर दिन almost कॉपी-पेस्ट लगता है। वहीं पर रहता था आरव – न तो पढ़ाई में कोई टॉप-शॉप, न ही कोई rebel, बस सीधा-सादा बंदा। दिल से बहोत soft, थोड़ा overthinking वाला – कभी-कभी लगता था जैसे हर चीज़ को फील करने का ठेका उसी ने ले रखा है।

प्यार? उसके लिए तो वो कोई cheesy romantic फिल्म की कहानी नहीं थी, बल्कि एक सच्चा सा एहसास था, जिसे उसने बस महसूस किया, बिना ज़्यादा show-off के।

अब twist आया दसवीं क्लास में। एक दिन बोर्ड के सामने नई लड़की – नाम था काव्या, और भाई, first look में ही कुछ तो electric सा लगा। जब वो मुस्कुराती थी, तो literally लगता – “लाइट चली गई है क्या?” उसकी आँखों में वो innocence थी, जो सीरीज के हीरोइन को भी पीछे छोड़ दे।

आरव अपनी feelings दिल में छुपाए, धीरे-धीरे काव्या से दोस्ती कर बैठा। दोनों के बीच vibes ऐसे बनने लगे, जैसे बारिश की पहली बूंदों में मिट्टी की खुशबू। ग्रुप स्टडी के नाम पर आधा टाइम बकवास, स्कूल functions की तैयारी में मस्ती, और कभी-कभी ऐसे ही बेंच पर बैठे-बैठे चुपचाप staring contest – सब कुछ एक unspoken love-story की तरह।

काव्या भी शायद कुछ-कुछ फील करती थी, मगर दोनों में से कोई भी अपनी जुबान को हिम्मत नहीं दे पाया। Typical, right?

टाइम गुज़रता गया, और फिर… स्कूल खत्म! दिमाग़ ने सोचा था “कुछ तो होगा,” लेकिन लाइफ ने पलटी मार दी। काव्या के पापा का ट्रांसफर, और वो चली गई – बिना किसी dramatic goodbye के। आरव ने कभी पूछा तक नहीं – कब जा रही है, या जा भी रही है क्या? शायद डर था कि जवाब सुनकर दिल ही टूट जाएगा।

कॉलेज की दुनिया में आया, new faces, new friends, मगर आरव अब भी उसी एक चेहरे को भीड़ में तलाशता रहा। बाकी लड़कियों में कोई excitement ही नहीं थी।

फिर एक दिन – तगड़ा प्लॉट ट्विस्ट। फेसबुक पर friend request – काव्या! दिल की धड़कन literally Olympic sprinter हो गई। तुरंत accept किया, फिर awkward सी “कैसे हो?” से चैट शुरू, और बातों का सिलसिला वही पुराना सा, जैसे टाइम फ्रीज हो गया हो।

अब दोनों घंटों चैट करते, पुराने school के लतीफे, बेवकूफी वाली बातें, और… बस। feelings फिर भी locked. शायद दोनों डरते थे – अगर बोल दिया तो सब कुछ awkward हो जाएगा।

एक दिन आरव ने खुद से लड़-झगड़ कर पूछ ही लिया –
“कभी लगा कि हम दोनों कुछ और भी हो सकते थे?”

काव्या ने टाइप किया…
और फिर…
“हाँ… लेकिन मैंने कभी कहा नहीं, मुझे तुम्हारी चुप्पी में भी प्यार दिखता था।”

अब यार, ये सुनकर तो आरव की सारी हिचकिचाहट गई खिड़की से बाहर।
“तो अब कह रहा हूँ – I love you, काव्या. शायद स्कूल के टाइम से, शायद हमेशा से।”

काव्या – “काश ये बात स्कूल में कही होती… अब मेरी शादी फिक्स हो चुकी है।”

आरव – चुप्पी, फिर बोला,
“प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं। कभी-कभी किसी की खुशी में अपना सुकून ढूंढ़ लेना भी प्यार है। मैं खुश हूँ, तुम खुश हो।”

काव्या की आंखों से आंसू – chat में emoji वाली भी नहीं, असली वाले। उसने लिखा,
“तुम जैसे लोग कहानियों में होते हैं, आरव। अब मेरी लाइफ की सबसे प्यारी कहानी बन गए।”

कहानी यहीं अटक गई, उस मोड़ पर जहाँ कुछ था, सब कुछ था, बस जुबाँ नहीं मिली।

उस दिन के बाद आरव ने कभी किसी से मोहब्बत नहीं की। काव्या की शादी हो गई, पर जब भी अकेली होती, आरव के पुराने मैसेज पढ़ती और मुस्कुरा देती।

आरव के लिए प्यार वही किताब थी, जिसे वो हर रात खोलता, पढ़ता, लेकिन किसी को दिखाता नहीं।

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